आज मैं आपको Matheran Hill Station की जाणकारी बताने वाला हू
Read more:- Harihar Fort all information
माथेरान की दर्शनीय यात्रात नावपूर्ण जीवन से मैं शांत हो जाऊं माथेरान की मानसिक यात्रा से मन मनोरंजन, मनोरंजन, प्रबुद्ध करने का प्रयास कर रही है प्रकृति की गोद में ठंडक वायु का स्थान माथेरान है। माथेरान का नाम भी लिया जाए तो आंखों के सामने खड़ा हो जाता है यह रसीला और सत्य रहता है झुकी हुई ट्रेन। माथेरान आम है यह 2600 फीट की ऊंचाई पर एक पठार पर स्थित है। माथेरान की मुख्यभूमि विविधतापूर्ण, घने जंगलों वाली है और लाल पगडंडियों से भरा है। पठारों के अधिकांश सिरे यहाँ के साथ-साथ पूर्व में- पश्चिम-दक्षिण के किनारे ढह गए हैं। इन किनारों को बिन्दु कहते हैं।माथेरान को अंग्रेजों ने बनवाया था। उनका इस बिंदु का अंग्रेजी नाम अंग्रेजी नाम से ही है हैं 1850 में, मैलेट नाम का एक अंग्रेज अधिकारी ठाणे के कलेक्टर थे। वह यह पहाड़ी पहले चौक गांव से है। स्थानीय यह अब व्यक्तियों के साथ वन ट्री हिल है बिंदु से ऊपर चढ़ गया। फिर रामबाग बिंदु से उतरा। पहाड़ों के प्यार में वे नीचे गिरे और यहाँ रहने के लिए एक घर बनाया। सह्याद्री की मुख्य लाइन से थोड़ी दूर, एक अलग पहाड़ी श्रृंखला माथेरान है। इसकी शुरुआत कल्याण के मलंगगढ़ से होती है। मलंगगढ़ से सटे बंदलापुर की 'तावली' गुफाओं के पहाड़ हैं। फिर 'पति' यह एक पहाड़ लेता है। पतले टेपर के कारण यह पर्वत तुरंत पहचानने योग्य है। इसके आगे चंदेरी शंकु और फिर 'म्हैसामा' पहाड़ी लेता है इसके आर-पार छेद होना नखिंद पहाड़ी और फिर 'पेब' प्रकट होता है। इसमें एक किले के कुछ अवशेष भी हैं। उसके बाद माथेरान की पहाड़ी आती है। यहां घूमने का सबसे अच्छा समय यानी सितंबर से मार्च तक। भारी बारिश से कितना हरा-भरा है माथेरान हो चुका है। हर जगह झरने हैं माथेरान के जंगलों में 150 प्रजातियां वृक्ष पाये जाते हैं। विभिन्न जातियों की दवाएं पौधे हैं। इस वन का लाभ यानी किसी भी बिंदु पर जाते समय छाया जाता सूरज परेशान नहीं करता। इस जंगल में बुलबुल, दयाल, तांबत, किंगफिशर, धनेश, रॉबिन, बार्बेट पक्षी हैं। स्वर्ग का नाम दिया लंबी पूंछ वाला एक सफेद पक्षी पाया जाता है यह शॉर्ट जाणकारी केसी लगी आपको
Thanks