Vasota Fort Trek From Pune


Vasota Fort


वासोटा किल्ला घने जंगलों में स्थित है जो इसे एक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थान बनाते हैं। पर्वतीय इलाकों में यह एक अद्भुत नजारा प्रदान करता है जो ट्रेकर्स को आकर्षित करता है।वसोटा किल्ला ट्रेकर्स के लिए एक आकर्षक स्थान है। यहां पर्वतारोहियों को चुनौतीपूर्ण ट्रेकिंग और हाइकिंग का मौका मिलता है जो एक अनुभवी ट्रेकर को बहुत प्रसन्न करता है।

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वन विभाग आपको camp लगाने की अनुमति नहीं देगा क्योंकि रात के समय जानवर बहुत सक्रिय होते हैं और यह एक वन्य जीव अभ्यारण्य है। झील के पास बामनोली गांव में एक कैंपिंग ग्राउंड है जहां आप अपना कैंपसाइट स्थापित कर सकते हैं। किले के चारों ओर का जंगल एक संरक्षित अभ्यारण्य है, इसलिए किले में जाने का एक निश्चित समय है। किले से देर से उतरने पर वन विभाग आपसे जुर्माना वसूल करेगा। तो कृपया वन कार्यालय में समय की जांच करें और उनके द्वारा बताए गए सभी नियमों और विनियमों का पालन करें। यह आपकी अपनी सुरक्षा के लिए है।अप ऊपर जितना कचरा ले जा रहे हैं उताणा वापिस लेकरं आना नाही तो आपको जुरमाना बरना पड सकता है 
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vasota fort यह पुणे के दक्षिण मैं सातारा के पास स्थित है सातारा पहुँचने के लिये पुणे स्टेशन से 110 किलोमीटर की दुरी पुर है इस मार्ग पर maharashtra bus की बस मिळती है आप बस से भि आ सकते है एक बार को आप सातारा पोचे तो आप नजतीक का गाव बमणोली गाव मैं पहोचाना होगा बमणोली गाव से आपको बोट मिलेगी यह नाव शिवसागर झील से होकर फोर्ट के निचे छोडेगी यह पोहचणे के लिये 1 से 1:30 घंटे लाग सकते हैं 

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वन विभाग से अनुमति: जैसा कि वसोटा ट्रेक एक जंगल ट्रेक है, जानवरों से मानव का संघर्ष से बचने के लिए इस जगह पर कुछ नीतियां हैं। वसोटा जाने के लिए बामनोली के वन विभाग से परमिट लेना पड़ता है। अपने साथ कुछ सरकारी आईडी ले जाएं क्योंकि परमिट प्राप्त करने के लिए यह अनिवार्य है। ज्यादा जल्दी नहीं है और यह कार्य 15-30 मिनट के भीतर किया जाना चाहिए 

Vasota Fort History 

  • वासोटा ज्या डोंगरावर आहे तेथे वसिष्ठ ऋषींचा एक शिष्य राहत होता, म्हणून त्याने या डोंगराला आपल्या गुरूंचे नाव दिले, अशी आख्यायिका आहे. ’वसिष्ठ’चे पुढे वासोटा झाल असावेे, अशी कल्पना आहे. शिलाहारकालीन राजांनी या डोंगरावर किल्ला बांधला. या किल्ल्याची मूळ बांधणी ही शिलाहार वंशीय दुसऱ्या भोजराजाने केली असल्याचा उल्लेख आढळतो.
  • वासोट्याचे नाव महाराजांनी व्याघ्रगड असे ठेवले. याच्या दुर्गमतेबद्दल पेशवाईत सुद्धा नोंद आहे. शिवाजी महाराजांच्या काळात या किल्ल्याचा वापर 'तुरुंग' म्हणून केला जात असे. याचे कारण तेथील निर्जन व घनदाट असे अरण्य. पूर्वी तेथे वाघ, बिबट्यांसारखे प्राणीही होते. हे प्राणी अजूनही आहेत
  • शिवाजी महाराजांनी जावळी जिंकल्यानंतर आसपासचे अनेक किल्ले घेतले, पण वासोटा जरा दूर असल्याने घेतला नाही. पुढे शिवाजी महाराज पन्हाळगडावर अडकले असताना, आपल्या मुखत्यारीत मावळातील पायदळ पाठवून त्यांनी वासोटा किल्ला दि ६ जून १६६० रोजी घेतला.
  • अफझलखाच्या वधानंतर शिवाजी महाराजांच्या दोरोजी या सरदाराने राजापुरावर हल्ला करून तेथील इंग्रजांना अफझलखानाच्या गलबतांचा पत्ता विचारला. त्यांनी सांगितला नाही म्हणून इंग्रजांच्या ग्रिफर्ड नावाच्या अधिकाऱ्याला अटक केली व वासोट्यावर ठेवले. .सन १६६१ मध्ये पकडलेल्या इंग्रज कैद्यांपैकी रेव्हिंग्टन, फॅरन व सॅम्युअल यांना वासोट्यावर कैदेत ठेवण्यात आले होते. पुढे १६७९ मध्ये वासोटा किल्ल्यावर २६,००० रुपये सापडले. पुढच्या काळात १७०६ मध्ये ताई तेलिणीने हा किल्ला आपल्या हातात घेतला. पुढील वर्षी पेशव्यांचे सेनापती बापू गोखले यांनी ताई तेलिणीबरोबर लढाई केली. आठदहा महिन्यांच्या प्रखर झुंजीनंतर ताई तेलिणीचा पराजय झाला आणि १७३० मध्ये वासोटा किल्ला बापू गोखल्यांच्या हाती पडला.

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